Happy Govardhan Puja in Hindi (हैप्पी गोवर्धन पूजा) – गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। गोवर्धन का त्यौहार हर वर्ष दिवाली के अगले दिन और भाई दूज से पिछले दिन आता है। उत्तर भारत में लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी पुकारते हैं। भारतीय लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस त्योहार में अपनी स्वयं की मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा की जाती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि गाय नदियों में गंगा की तरह पवित्र है। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है, और गाय के प्रतीक के रूप में। इस दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। कई जगह गोवर्धन महाराज की पूजा करके उन्हें जगाने का भी प्रचलन है। लोग अपने लोकगीत गा कर गोवर्धन महाराज को जगाते हैं।
उत्तर भारत के गाँवों गोवर्धन पूजा बड़े हर्षोउल्लास से मनाई जाती है। इस दिन लोग इकठ्ठा होकर घर घर गोवर्धन महाराज की पूजा और उन्हें जगाने जाते हैं! पूजा के उपरांत खील, बतासे और मिठाई के प्रसाद का वितरण किया जाता है!
गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है? (Why We Celebrate Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Story)
जब भगवान् श्री कृष्णा बाल्यावस्था में थे तब ब्रज में बारिश के देवता इंद्रा की पूजा का प्रचलन था। कहा जाता है कि एक बार भगवान् श्री कृष्णा ने ब्रजवासियों को देवराज इंद्रा की जगह गोवर्धन महाराज कि सेवा करने को कहा, और ब्रजवासियों ने ऐसा किया। जिससे नाराज़ होकर देवराज इंद्रा ने ब्रज के ऊपर मूसलधार बारिश शुरू कर दी, क्योकि वो जानते नहीं थे कि श्री कृष्ण भगवन विष्णु के अवतार हैं।
इस मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवन श्री कृष्णा सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत ले गए और गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) को सात दिनों तक अपनी सबसे छोटी उंगली पर रखा, जिससे सभी ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत के नीचे सुरक्षित रहे। बाद में इंद्रा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने बारिश रोक कर भगवान् श्री कृष्णा के आगे हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगी।
सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर साल गोवर्धन की पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने का आदेश दिया। तब से, यह उत्सव अन्नकूट के रूप में मनाया जाने लगा।
एक किवदंती के अनुसार ये भी कहा जाता है की जब भगवान् श्री कृष्णा ने गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों को बचाया तो ब्रजवासियों ने खुश होकर भगवान् को 56 भोग बनाकर खिलाया और यही 56 भोग अन्नकूट के नाम से जाना जाता है, क्योकि इसमें 56 प्रकार के खाद्य वस्तुओं का प्रयोग होता है।, तभी से गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट बनाने का प्रचलन शुरू हुआ और हर वर्ष लोग गोवर्धन पर अन्नकूट बनाकर जरूर खाते हैं।
गोवर्धन पर्वत के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Amazing Fact About Govardhan Parvat)
गोवर्धन पर्वत के बारे में एक कहानी और प्रचलित है। कहा जाता है की जब भगवान् श्री राम माता सीता को वापिस लाने और रावण से युद्ध करने के लिए समुद्र पर रामसेतु बना रहे थे तब उन्हें बहुत सारे पत्थरों की जरुरत पड़ी। तब वानरसेना ने जगह जगह से बड़े बड़े पत्थर लाना शुरू किया। कई वानर हिमालय से भी पत्थर लेकर आये।
जब रामसेतु का निर्माण कार्य संपन्न हो गया तो श्री राम ने सबसे पत्थर लाने को मन कर दिया, जबकि कुछ वानर बड़े बड़े पत्थरों के साथ रस्ते में ही थे! जब वानरों ने श्री राम का सन्देश सुना तो उन्होंने वो पत्थर वहीँ रखने का निर्णय लिया! उन्ही में से कुछ वानरों ने वो पत्थर मथुरा में रखे और यही पत्थर गोवर्धन पर्वत बताये जाते हैं।
इसका कोई सबूत नहीं है मगर आश्चर्य की बात है की गोवर्धन पर्वत पर कुछ पेड़ पौधे और जड़ी बूटी मिलती हैं जो काफी हद तक हिमालय पर पाये जाने वाले पेड़ पौधे और जड़ी बूटी से मिलती हैं।
महाराज गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi Hindi)
नीचे बताई गयी विधि को देखकर आपको आसानी से समझ आ जायेगा How To Do Govardhan Puja at Home.
- गोवर्धन को गोबर से बनाया जाता है। कई स्थानों पर, यह मनुष्यों की आकृति का बना होता है और फूलों, आदि से सजाया गया है शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा करने के लिए धूपबत्ती, फल, फूल, मिठाई, खील, खीर, पूड़ी, पानी आदि का प्रयोग किया जाता है।
- पूजा के बाद, गोवर्धन के जयकारे के साथ गोवर्धन की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय, सबसे आगे वाला व्यक्ति अपने हाथ में पानी और बाकी सारे लोग खील लेकर उसके पीछे पीछे परिक्रमा पूरी करते हैं।
- गोवर्धन की आकृति लेटे हुए मनुष्य जैसी होती है। उनकी नाभि के स्थान पर एक दीपक रखा जाता है। फिर इसमें पूजा सामिग्री जैसे की दूध, मिठाई, फल, फूल, खील आदि रखे जाते हैं। और बाद में इन्हे ही प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- तेल को सुबह धोया जाता है।
- इस दिन कल-कारखानों में काम करने वाले कारीगर भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। इस दिन, सभी कल-कारखाने पूरी तरह से बंद हो जाते हैं, घर पर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर भी काम नहीं करते हैं। दोपहर में भगवान विश्वकर्मा और मशीनों और उपकरणों की पूजा की जाती है।
Govardhan Puja 2024 in India – 02 November 2024, Saturday.
इस साल गोवर्धन पूजा 02 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
निष्कर्ष
दोस्तों, आशा करते हैं आपको अच्छे से समझ आ गया होगा गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है, Govardhan kaise banaen, गोवर्धन पूजा विधि क्या है (Govardhan Puja Vidhi in Hindi), Govardhan kaise rakhte hain इत्यादि.
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